अगर पुलिस गिरफ्तार (Police arresting) करे तो जाने क्या है आपके कानूनी अधिकार
पुलिस किसी को गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तार करती है तो यह न सिर्फ भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी का उल्लंघन है, बल्कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 20, 21और 22 में दिए गए मौलिक अधिकारों के भी खिलाफ है। मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर पीड़ित पक्ष संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट जा सकता हैं।
आइए जानें क्या है नागरिक के कानूनी अधिकार
1. पुलिस FIR ( First Information Report ) दर्ज करने से मना नहीं कर सकती
पुलिस रेगुलेशन के मुताबिक थाने पर आने वाले प्रत्येक पीड़ित की FIR यानि प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करना पुलिस की जिम्मेदारी है और पुलिस इसके लिए आपको कभी मना नहीं कर सकती। दर्ज हुई FIR की एक कॉपी भी आपको निशुल्क दी जाती है।
2. पुलिस किसी व्यक्ति से मारपीट या अमानवीय व्यवहार नहीं कर सकती
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश है कि पुलिस थाने लाए गए किसी भी व्यक्ति से अमानवीय व्यवहार नहीं कर सकती है और पुलिस थाने लाए गए किसी भी व्यक्ति के साथ मारपीट भी नहीं करेगी।
3. आपको बिना कारण बताए गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है
CRP दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 150 के मुताबिक पुलिस बिना कारण बताए किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं कर सकती है। अगर पुलिस आपको गिरफ्तार करती है तो इसके लिए आप पुलिस से गिरफ्तारी का कारण पूछ सकते हैं यह आपका अधिकार है की कारणों को जाने और पुलिस को कारण बताना ही होगा।
4. पुलिस किसी भी व्यक्ति को 24 घंटे से ज्यादा हिरासत में नहीं रख सकती
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 167 के मुताबिक पुलिस किसी भी व्यक्ति को 24 घंटे से ज्यादा हिरासत में नहीं रख सकती है। ओर गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर पुलिस को नजदीकी न्यायालय के समक्ष पेश करना जरूरी होता है।
5. थाने में आपको कभी भूखा नहीं रख सकती पुलिस
पुलिस रेगुलेशन के मुताबिक अगर पुलिस किसी व्यक्ति को हिरासत में या गिरफ्तार करके थाने लाती है तो उसको समय पर भोजन कराना पुलिस की जिम्मेदारी है और इसके लिए पुलिस को भत्ता भी मिलता है।
6. न्यायालय के आदेश के बगैर आपको हथकड़ी नहीं लगा सकती पुलिस
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के मुताबिक पुलिस हिरासत में लिए गए व्यक्ति और विचाराधीन बंदी को एक कारागार से दूसरे कारागार, थाने से न्यायालय में पेश करते समय या न्यायालय से कारागार ले जाते समय हथकड़ी नहीं लगा सकती इसके लिए पुलिस को न्यायालय से अनुमति लेनी होती है।
7. रिमांड पर लिए व्यक्ति का 48 घंटे में पुलिस को चिकित्सीय परीक्षण कराना होता है
अगर पुलिस किसी विचाराधीन बंदी को रिमांड पर लेती है तो 48 घंटे के भीतर पुलिस को रिमांड पर लिए गए व्यक्ति का चिकित्सीय परीक्षण अवश्य कराना होगा। अगर पुलिस ऐसा नहीं करती तो यह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना होगी।
8. परिवार वालों को गिरफ्तारी की सूचना देना पुलिस की जिम्मेदारी
अगर आपको पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है तो आपको यह अधिकार मिला है कि आप अपने किसी संबंधी को इसकी सूचना दे सकें। इसके लिए पुलिस आपको टेलीफोन मुहैया कराएगी, अगर टेलीफोन की व्यवस्था नहीं है तो पत्राचार से इसकी सूचना भिजवाने की जिम्मेदारी पुलिस की है और यह अधिकार आम नागरिक को सर्वोच्च न्यायालय से मिला है।
9. पुलिस थाने पर भी ले सकते है अपनी जमानत
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 436 के तहत पुलिस को थाने से ही जमानत देने का अधिकार है। यदि किसी व्यक्ति ने ऐसा अपराध कर दिया है जो जमानतीय है तो ऐसे अपराध की जमानत पुलिस थाने पर ही ले सकती है।
अगर पुलिस इन नियमों को नहीं मानती है तो इससे मानव अधिकारों का हनन होता है तब इसकी शिकायत अधिकारियों को की जा सकती है।
न्यायालय के समक्ष पेश करते समय हथकड़ी नहीं लगाते हैं लेकिन अपराधी और आरोपी के भागने की आशंका को देखते हुए बीच रास्ते में हथकड़ी लगानी पड़ती है जिसका तस्करा जीडी में डाला जाता है।
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1 टिप्पणियाँ
Nice article
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