मकर संक्रांति पर तिल का महत्व क्यो है?
मकर संक्रांति हिन्दुओं का एक प्रसिद्ध त्योहार है. शादी से लेकर पूजा-पाठ तक सभी मंगल कार्य मकर संक्रांति से शुरू कर दिए जाते हैं. मकर संक्रांति को अलग अलग स्थान मे अलग अलग नाम से जाना जाता है जैसे मकर दक्षिण भारत में पोंगल (Pongal) के रूप में मनाया जाता है, गुजरात और राजस्थान में इसे उत्तरायण (Uttarayan) कहा जाता है. वहीं, हरियाणा और पंजाब में माघी (Maghi) के नाम से जाना जाता है.
गुजरात में मकर संक्रांति पर खास पतंग महोत्सव भी मनाया जाता है!
मकर संक्रांति पर क्यों किया जाता है तिल का दान
मकर संक्रान्ति के मौकै पर तिल और गुड़ के लड्डू खूब खाए जाते हैं. साथ ही तिल का दान भी किया जाता है. हिन्दू मान्यताओं के मुताबिक तिल शनि देव को बेहद प्रिय है. इस वजह से माना जाता है कि इस दिन तिल का दान करने से शनि देव बहुत प्रसन्न होते हैं.
मकर संक्रांति पर तिल के महत्व की पौराणिक कहानी
एक पौराणिक कथा के अनुसार शनि देव को उनके पिता सूर्य देव पसंद नहीं करते थे. इसी कारण सूर्य देव ने शनि देव और उनकी मां छाया को अपने से अलग कर दिया. इस बात से क्रोध में आकर शनि और उनकी मां ने सूर्य देव को कुष्ठ रोग का श्राप दे डाला. पिता को कुष्ठ रोग में पीड़ित देख यमराज (जो कि सूर्य भगवान की दूसरी पत्नी संज्ञा के पुत्र हैं) ने तपस्या की. यमराज की तपस्या से सूर्यदेव कुष्ठ रोग से मुक्त हो गए. लेकिन सूर्य देव ने क्रोध में आकर शनि देव और उनकी माता के घर 'कुंभ' (शनि देव की राशि) को जला दिया. इससे दोनों को बहुत कष्ट हुआ.
यमराज ने अपनी सौतेली माता और भाई शनि को कष्ट में देख उनके कल्याण के लिए पिता सूर्य को समझाया. यमराज की बात मान सूर्य देव शनि से मिलने उनके घर पहुंचे. कुंभ में आग लगाने के बाद वहां सब कुछ जल गया था, सिवाय काले तिल के अलावा. इसीलिए शनि देव ने अपने पिता सूर्य देव की पूजा काले तिल से की. इसके बाद सूर्य देव ने शनि को उनका दूसरा घर 'मकर' मिला. तभी से मान्यता है कि शनि देव को तिल की वजह से ही उनके पिता, घर और सुख की प्राप्ति हुई, तभी से मकर संक्रांति पर सूर्य देव की पूजा के साथ तिल का बड़ा महत्व माना जाता है.
धार्मिक के अलावा मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ का वैज्ञानिक महत्व भी है. मकर संक्रांति के समय उत्तर भारत में सर्दियों का मौसम रहता है और तिल-गुड़ की तासीर गर्म होती है. सर्दियों में गुड़ और तिल के लड्डू खाने से शरीर गर्म रहता है. साथ ही यह शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करता है जो हमारे शरीर के लिए अतिआवश्यक है
सर्दियों में तिल खाने के फायदे
1. सर्दी करे दूर
गर्म तासीर की वजह से तिल के लड्डू सर्दियों में होने वाली दिक्कतों जैसे सर्दी-खांसी और जोड़ों में दर्द से आराम देते हैं. इसके साथ ही जिन लोगों को ज़्यादा ठंडी लगती है उनके लिए ये लड्डू बहुत फायदेमंद होते हैं. इसे लगातार खाने से शरीर में गर्मी बनी रहती है और ठंड का लगना कम हो जाता है.
2. पेट के लिए अतिआवश्यक
अगर आपको कब्ज की परेशानी हो या खाने को पचाने में दिक्कत आती हो तो रोज़ाना इन लड्डुओं को खाएं. जिन्हें तिल पसंद नहीं वो लोग सिर्फ गुड़ खाने से भी इस परेशानी से राहत पा सकते हैं.
3. अस्थमा में दिलाए राहत
सर्दियां अस्थमा के मरीज़ों के लिए काफी दिक्कत लेकर आती है. हवा में ऑक्सीजन की कमी और बढ़ता प्रदूषण उन्हें सांस लेने में दिक्कत देता है. सर्दियों में खांसी और कफ की वजह से भी सांस लेने में दिक्कत आती है. ऐसे में उनके शरीर को गर्म रखने के लिए और कफ को बाहर निकालने के लिए रोज़ाना तिल के लड्डू असरदार साबित हो सकते हैं. आप चाहे तो इन लड्डुओं को दूध के साथ भी ले सकते हैं.
4. जोड़ों में दर्द करे दूर
रोज़ाना तिल के लड्डू का सेवन जोड़ों के दर्द में बहुत राहत देता है. क्योंकि गुड़ और तिल में मौजूद आयरन जोड़ों को मज़बूत बनाता है. आप इन लड्डुओं को रोज़ाना रात को दूध के साथ खाएं. क्योंकि दूध की मदद से कैल्शियम और विटामिन डी भी आपको मिलेगा, जो हड्डियों के लिए और भी फायदेमंद होता है.
5. कमज़ोरी करे दूर
अगर आप हल्का-सा दौड़ने पर थक जाते हैं या फिर सीढ़ियां चढ़ने से आपकी सांसे फूल जाती हैं तो ये लड्डू आपके लिए कमाल के साबित हो सकते हैं. इन्हें रोज़ाना खाने से शरीर छोटी-छोटी बीमारियों से बचेगा जिससे आपको एनर्जी मिलेगी.
नोट - इन लड्डुओं को गर्मी के मौसम में खाने से बचें. शरीर में ज़्यादा गर्माहट से आपको नाक से खून निकलना, चोट के वक्त खून का ज़्यादा बहना और हर वक्त गर्मी लगना जैसी दिक्कतें हो सकती हैं.
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